जब भी हम ट्रेन से सफर करते हैं या रेलवे लाइन के पास से गुजरते हैं, तो अक्सर पटरियों के नीचे बिछे छोटे-छोटे नुकीले पत्थर हमारी नजरों में आ जाते हैं। ये पत्थर देखने में आम लगते हैं, लेकिन इनका काम बेहद जरूरी होता है। इन्हें बैलेस्ट कहा जाता है और ये रेलवे ट्रैक की मजबूती और सुरक्षा के लिए बेहद अहम होते हैं। कई लोग सोचते हैं कि इनका उपयोग सिर्फ ट्रैक को स्थिर रखने के लिए किया जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि इनका काम इससे कहीं ज्यादा है।आज हम आपको यही बताएँगे की इन पत्थर का क्या काम होता है।

ट्रैक को मजबूती देने में इनका योगदान
जब ट्रेन ट्रैक पर चलती है, तो उसका वजन सीधा पटरियों पर पड़ता है। इस वजन और कंपन को बैलेंस करने का काम यही पत्थर करते हैं। ये पटरियों को हिलने नहीं देते और उन्हें अपनी जगह पर मजबूती से टिकाए रखते हैं। इसके कारण रेल गाडी हिलती नहीं है , बल्कि ट्रेन का सफर भी सुरक्षित हो जाता है। अगर ये पत्थर न हों, तो ट्रैक समय के साथ ढीले पड़ सकते हैं और हादसे का खतरा बढ़ सकता है।
झटकों और कंपन को कम करना
ट्रेन जब तेज़ रफ्तार से दौड़ती है, तो ट्रैक पर भारी कंपन होता है। ये कंपन अगर सीधे ज़मीन या ट्रैक को लगे, तो उसमें दरारें आ सकती हैं या लोहे की पटरी टूट भी सकती है। बैलेस्ट यानि पत्थर इन झटकों को सोखने का काम करते हैं। ये एक तरह से कुशन की तरह काम करते हैं, जो ट्रैक की उम्र बढ़ाते हैं और उसे टूटने या डगमगाने से बचाते हैं।
ये भी पढ़े : नीता अंबानी की 5 साड़ियां, जिनकी कीमत में आप खरीद सकते हैं दिल्ली-मुंबई में फ्लैट!
पानी की निकासी में मदद
बारिश के मौसम में अगर ट्रैक पर पानी जमा हो जाए, तो वह लोहे को जंग लगा सकता है या मिट्टी को ढीला कर सकता है। पत्थरों की मौजूदगी ट्रैक पर पानी को रुकने नहीं देती। इनके बीच की खाली जगहों से पानी नीचे की ओर बह जाता है, जिससे पटरी सूखी रहती है और लंबे समय तक सुरक्षित बनी रहती है।
घास-फूस और मिट्टी से सुरक्षा
अगर ट्रैक पर घास-फूस उगने लगे तो वो समय के साथ ट्रैक की मजबूती को नुकसान पहुंचा सकता है। मिट्टी में नमी बनी रहती है और वहां पौधे उग आते हैं। लेकिन पत्थरों की सतह पर घास नहीं उगती। इससे ट्रैक साफ-सुथरा और तकनीकी रूप से मजबूत बना रहता है। यह कारण भी है कि रेलवे ट्रैक पर मिट्टी की जगह पत्थर बिछाए जाते हैं।